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भूगर्भ जलस्तर गिरने से पानी के लिए मच सकता है हाहाकार भूगर्भ जल पीने के पानी का स्रोत है। यह पीने के पानी का एक प्राकृतिक स्रोत है। यह जल चट्टानों और मिट्टी से रिसकर जमीन के अंदर एकत्र होता है। जमीन के अंदर जहां भूजल जमा होता है उसे जलभूत यानी एक्विफर कहते हैं। जमीन की सतह से जिस स्तर पर यह पानी मिलता है उसे भूजल स्तर कहते हैं। यह स्तर बढ़ता घटता रहता है। अधिक दोहन की वजह से यह स्तर घटता है और अधिक नीचे चला गया तो उस क्षेत्र में पानी के लिए हाहाकार मच सकता है। हैंडपंप, कुंआ आदि सूखने लगता है। पेयजल का संकट उत्पन्न हो जाता है।जल संरक्षण की दिशा में काम करने वाले बताते हैं कि बहुमंजिली इमारतों को बनाने में लाखों लीटर पानी की बर्बादी को रोकने के लिए उपाय होने चाहिए। बिना पानी निकाले बहुमंजिली इमारतों की नींव तो खड़ी की नहीं जा सकती, इसके लिए उस निकलने वाले पानी के सदुपयोग का इंतजाम करना चाहिए। रेन वाॅटर हार्वेस्टिंग की तरह ग्राउंड वाॅटर हार्वेस्टिंग की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
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शहर का इस तरह गिर रहा भूगर्भ जलस्तर, नहीं सुधरे तो बनेगा संकट
क्षेत्र वर्ष-2016 वर्ष-2017 वर्ष-2018
नंदानगर 5 मीटर 5.32 मीटर 5.55 मीटर
तारामंडल 7.21 मीटर 6.44 मीटर 7.99 मीटर नौसढ़ 5.70 मीटर 5.75 मीटर 6.40 मीटर
चरगांवा 4.28 मीटर 4.48 मीटर 5.08 मीटर
असुरन 7.88 मीटर 8.28 मीटर 8.36 मीटर
मोहरीपुर 6.90 मीटर 6.75 मीटर 7.43 मीटर
मंडी परिषद 7.75 मीटर 7.83 मीटर 7.99 मीटर
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इन छोटे तरीकों से आप भी बचाइए जल-घर के बाहर सड़कों के किनारे कच्चा रखें अथवा अगर पत्थर लगाएं तो उसे लूज ही रखें
-पार्कों में रिचार्ज ट्रेंच बनाई जाये। यहां होता है सबसे अधिक पानी बर्बाद, करना चाहिए उपाय
-औद्योगिक प्रयोग में लाये गये जल का शोधन करके उसका पुनः उपयोग करें।
-वाटर पार्क और होटल में प्रयुक्त होने वाले जल का उपचार करके बार-बार प्रयोग में लायें।
-होटल, निजी अस्पताल, नर्सिंग होम्स व उद्योग आदि में वर्षाजल का संग्रहण कर टॉयलेट, बागवानी में उस पानी का प्रयोग करें।
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सरकार अगर इस ओर ध्यान दें तो -300 वर्गमीटर से अधिक क्षेत्रफल के निजी मकानों एवं 200 वर्गमीटर से अधिक क्षेत्रफल के सरकारी/गैर सरकारी ग्रुप हाउसिंग मकानों, सभी सरकारी इमारतों में रुफ टॉप रेन हार्वेस्टिंग की व्यवस्था करना अनिवार्य है लेकिन इसका पालन नहीं कराया जाता।-तालाबों व पोखरों की नियमित डिसिल्टिंग का कार्य।